इस पेज में बिहार बोर्ड कक्षा 12 दिगंत भाग 2 हिंदी पाठ 5 रोज के सारांश, पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर और Question Bank Previous Year Questions का व्याख्या किया गया है। We have include Bihar Board Class 12th Hindi Digant bhag 2 Chapter 5 roj kahani summary, Class 12 Hindi roj Notes Question Answers, roj class 12 hindi previous year questions, roj class 12th text book question answer solutions, roj class 12th summary, roj class 12 question answer, roj digant bhag 2 book solutions, class 12 hindi chapter 5 text book question answers, Roj kahani ka saransh avn question answer, bseb class 12th hindi roj kahani ka saransh avn question answer,Roj kahani ka saransh avn question answer, roj kahani pdf notes, roj kahani ka saransh avam previous year question answer, roj kahani class 12 hindi text book solutions
5. रोज
लेखक- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय
जन्म-7 मार्च 1911 निधन- 04 अप्रैल 1987
जन्म स्थान – कसेया कुशीनगर, उत्तरप्रदेश
माता-पिता- व्यंती देवी और डॉ हीरानंद शास्त्री (प्रख्यात पुरातत्ववेता)
शिक्षा- आरंभिक शिक्षा घर पर, 1925 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक, 1927 में मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज से इंटर, 1929 में फोरमन कॉलेज, लाहौर से बी.ए, एम.ए लाहौर से किए।
भाषा ज्ञान- संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी के अतिरिक्त फारसी, तमिल इत्यादि अनेक भाषाओं के जानकार
अभिरुचि- बागवानी, पर्यटन, फोटोग्राफी, हस्तकला, शिल्पकला इत्यादि में प्रवीण।
कृतियाँ- छोड़ा हुआ रास्ता, शेखर: एक जीवनी, उत्तर प्रियदर्शी (नाटक), सदानीरा, अंतरा।
सम्मान- साहित्य अकादमी, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार।
रवीन्द्र नाथ ठाकुर के ‘गोरा’ का हिन्दी अनुवाद अज्ञेय जी ने ही किया है। इन्होंने दस वर्ष की अवस्था में कविता लिखनी शुरू कर दी थी।
पाठ का सारांश
प्रस्तुत कहानी ‘रोज’ अज्ञेय द्वारा लिखी गई सर्वाधिक चर्चित कहानी है जिसमें लेखक ने वातावरण परिस्थिति और उसके प्रभाव में ढ़लती एक गृहिणी का चित्रण किया है। इस कहानी की प्रमुख पात्र मालती है जो लेखक के दूर के रिश्ते की बहन है। मालती से मिलने के लिए लेखक पैदल चलकर उसके घर पहुँचता है। लेखक मालती को सखी कहना पसंद करते है क्योंकि उन्होंने मालती के साथ बचपन बिताया है। बचपन में वह वाचाल तथा चंचल थी। आज मालती विवाहिता है तथा एक बच्चे की माँ है। लेखक महसूस करता है कि वह कुछ कहना चाहती है लेकिन कुछ कह नहीं पाती है। मालती का जीवन ग्रैंग्रीन रोग के समान हो गया था जिसका ऑपरेशन उसका पति करता था। पूरे दिन काम करना, बच्चे की देखभाल करना और पति का इंतज़ार करना इतने में ही उसका जीवन सिमट के रह गया था।
लेखक ने एक गृहिणी पर पड़ने वाले प्रभाव को बड़ी ही कुशलता के साथ व्यक्त किया है। उसके पति के काम पे चले जाने के बाद पूरा दिन मालती को घर में अकेले ही बिताना पड़ता था। उसका पुत्र बीमार तथा दुर्बल था जो हर समय रोता रहता था या सोता रहता था। मालती अपने आप को घर के कार्यों तथा शिशु के देखभाल में सुबह से रात 11 बजे तक व्यस्त रखती थी। ऐसा लग रहा था जैसे इस उबाऊ और उदासी भरे जीवन को वो ढो रही हो।
इस प्रकार लेखक ने मध्यमवर्गीय भारतीय समाज में घरेलू स्त्री के जीवन और मनोदशा को दिखाने का प्रयास किया है।
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पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- कहानी के प्रथम भाग में ही मालती के यन्त्रवत जीवन की झलक मिल जाती है जब वह अतिथि का स्वागत केवल औपचारिक ढंग से करती है ।। अतिथि उसके दूर के रिश्ते का भाई है । जिसके साथ वह बचपन में खूब खेलती थी पर वर्षों बाद आए भाई का स्वागत उत्साहपूर्वक नहीं कर पाती बल्कि जीवन की अन्य औपचारिकताओं की तरह एक और औपचारिकता निभा रही है । हम देखते हैं कि मालती अतिथि से कुछ नहीं पूछती बल्कि उसके प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देती है । उसमें अतिथि की कुशलता या उसके वहाँ आने का उद्देश्य या अन्य समाचारों के बारे में जानने की कोई उत्सुकता नहीं दिखती । यदि पहले कोई उत्सुकता, उत्साह जिज्ञासा या किसी बात के लिए उत्कंठा भी थी तो वह दो वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद शेष नहीं रही । विगत दो वर्षों में उसका व्यक्तित्व बुझ-सा गया है जिसे उसका रिश्ते का भाई भाँप लेता है अतः मालती का मौन उसके दम्भ का या अवहेलना का सूचक नहीं बल्कि उसके वैवाहिक जीवन की उत्साहहीनता, नीरसता और यान्त्रिकता का ही सूचक है । यह एक विवाहित नारी के अभावों में घुटते हुए पंगु बने व्यक्तित्व की त्रासदी का चित्रण है । यह एक नारी के सीमित घरेलू परिवेश में बीतते ऊबाऊ जीवन का चित्रण |
प्रश्न 2. ‘दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो‘, यह कैसी शाप की छाया है ? वर्णन कीजिए ।
उत्तर- जब लेखक दोपहर के समय मालती के घर पहुँचा तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो वहाँ किसी शाप की छाया मँडरा रही हो । यह शाप की छाया उस घर में रहने वाले लोगों के बीच अपनेपन तथा प्रेमभाव का न होना थी । वहाँ रहने वाला परिवार एक ऊब भरी, नीरस और निर्जीव जिन्दगी जी रहा था । माँ को अपने इकलौते बेटे के चोट लगने या उसके गिरने से कोई पीड़ा नहीं होती है । इसी प्रकार एक पति को अपने काम-काज से इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिता सके । इस कारण उसे एकाकी जीवन जीना पड़ता है । इस प्रकार यह शाप पति-पत्नी और बच्चे तीनों को ही भुगतना पड़ता है ।
प्रश्न 3. लेखक और मालती के संबंध का परिचय पाठ के आधार पर दें ।
उत्तर- लेखक और मालती के बीच एक घनिष्ठ संबंध है । मालती लेखक की दूर के रिश्ते की बहन है, लेकिन दोनों के बीच मित्र जैस संबंध है। दोनों बचपन में इकट्ठे खेले लड़े और पिटे हैं । दोनों की पढ़ाई भी साथ ही हुई थी । उनका रिश्ता सदा मित्रतापूर्ण रहा था, वह कभी भाई – बहन या बड़े-छोटे के बंधन में नहीं बंधे थे ।
प्रश्न 4. मालती के पति महेश्वर की कैसी छवि आपके मन में बनती है ? कहानी में महेश्वर की उपस्थिति क्या अर्थ रखती है ? अपने विचार दें।
उत्तर – कहानीकार अज्ञेय ने महेश्वर के नित्य कर्म का जो संक्षिप्त चित्र प्रस्तुत किया है पता चलता है कि वह रोज सबेरे डिस्पेन्सरी चला जाता है दोपहर को भोजन करने और कुछ आराम करने के लिए आता है, शाम को फिर डिस्पेन्सरी जाकर रोगियों को देखता है । उसका जीवन भी रोज एक ही ढर्रे पर चलता है । एक यांत्रिक जीवन की यन्त्रणा पहाड़ के एक छोटे स्थान पर मालती का पति भी भोग रहा है । यांत्रिक जीवन के संत्रास के शिकार सिर्फ बड़े शहरों के ही लोग नहीं हैं पहाड़ों के एकान्त में उसके शिकार मालती और महेश्वर भी है । महेश्वर भी इस एक एक ढर्रे पर चलती हुई खूँटे पशु की तरह उसी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने वाली जिन्दगी से उकता हुआ है ।
कहानी के महेश्वर एक कटा हुआ पात्र है, परन्तु जब कहीं भी कहानी में उपस्थित होता है तो उसकी उपस्थिति माहौल को तनावपूर्ण और अवसादग्रस्त बनाती है । उसकी बदलती मनःस्थिति वातावरण को और अधिक नीरस और ऊबाउ बनाती है ।
प्रश्न 5. गैंग्रीन क्या है ?
उत्तर- ग्रैंग्रीन एक खतरनाक रोग है । पहाड़ियों पर रहने वाले व्यक्तियों पैरों में काँटा चुभना आम बात है । परन्तु काँटा चुभने के बाद बहुत दिनों तक छोड़ देने के बाद व्यक्ति का पाँव जख्म का शक्ल अख्तियार कर लेता है जिसका इलाज मात्र पाँव का काटना ही है । कभी-कभी तो इस रोग से पीड़ित रोगी की मृत्यु तक हो जाती है ।
प्रश्न 6. कहानी से उन वाक्यों को चुनें जिनमें ‘रोज‘ शब्द का प्रयोग हुआ है ?
उत्तर- सर्वप्रथम कहानी का शीर्षक ही रोज है । इसके अलावे कई स्थानों पर रोज शब्द का प्रयोग हुआ है ।
(i) मालती टोककर बोली, ऊँहूँ मेरे लिए तो यह नई बात नहीं है रोज ही ऐसा होता है .. ।
(ii) क्यों पानी को क्या हुआ ? रोज ही होता है, कभी वक्त पर आता नहीं ।
(iii) मैं तो रोज ऐसी बातें सुनती हूँ ।
(iv) मालती का जीवन अपनी रोज की नियत गति से बहा जा रहा था और एक चन्द्रमा की चन्द्रिका के लिए एक संसार के लिए रूकने को तैयार नहीं था ।
(v) मालती ने रोते हुए शिशु को मुझसे लेने के लिए हाथ बढ़ाते हुए कहा, “इसको चोटें लगती ही रहती है, रोज ही गिर पड़ता है ।
प्रश्न 7. आशय स्पष्ट करें- मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे वश में कर रही है, मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव – सा हो रहा हूँ जैसे हाँ जैसे….. यह घर जैसे मालती ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लेखक वातावरण, परिस्थिति और उसके प्रभाव में ढलते हुए एक गृहिणी के चरित्र का चित्रण अत्यन्त कलात्मकता रीति से किया है । अतिथि तो मालती के घर में कई वर्षों बाद कुछ समय के लिए आया है पर अतिथि को लगता है कि उस घर पर कोई काली छाया मँडरा रही है । उसे अनुभव होता है कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है वह अज्ञात रह कर मानों मुझे भी वश में कर रही है मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव सा हो रहा हूँ जैसे हाँ-जैसे यह घर जैसे मालती । लगता है कि अतिथि भी उस काली छाया का शिकार हो गया है, जो उस घर पर मँडरा रही है । यहाँ मालती के अन्तर्द्वन्द्व के साथ अतिथि का अन्तर्द्वन्द्व भी चित्रित हुआ है । उस घर की जड़ता, नीरसता, ऊबाहट ने जैसे अनाम अतिथि को भी आच्छादित कर लिया है । अतिथि भी घर की जड़ता का शिकार हो जाता है ।
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प्रश्न 8. ‘तीन बज गए‘, ‘चार बज गए‘, ‘ग्यारह बज गए‘, कहानी में घंटे की इन खड़कों के साथ-साथ मालती की उपस्थिति है । घंटा बजने का मालती से क्या संबंध है ?
उत्तर- ‘तीन बज गए’ ‘चार बज गए’, ‘ग्यारह बज गए’ से लगता है कि मालती प्रत्येक घंटा गिनती रहती है । समय उसके लिए पहाड़ जैसा है । एक घंटा बीतने पर उसे लगता है चलो एक मनहूस घंटा तो बीता । घर में नौकर नहीं है तो बर्तन माँजने के लिए पानी चाहिए जो रोज ही वक्त पर नहीं आता है । मालती के इस कथन में कितनी विवशता है” रोज ही होता है आज शाम को सात बजे आएगा । “उस घर में बच्चे का रोना, उसके द्वारा प्रत्येक घंटा की गिनती करना, महेश्वर का सुबह, शाम डिस्पेन्सरी जाना सब कुछ एक जैसा है । यह सब कुछ एक जैसा उसके एक ढर्रे पर चल रही नीरस, ऊबाउ जिन्दगी का परिणाम है कि वह घंटे गिनने को है । जैसे ही उसका घंटा पार होता है थोड़ी वह राहत महसूस करती है ।
प्रश्न 9. अभिप्राय स्पष्ट करें
(क) मैंने देखा, पवन में चीड़ के वृक्ष…. गर्मी में सूखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष धीरे-धीरे गा रहे हो……कोई राग जो कोमल है, किन्तु करुण नहीं अशांतिमय है, उद्वेगमय नहीं ।
(ख) इस समय मैं यही सोच रहा था कि बड़ी उद्धत और चंचल मालती आज कितनी सीधी हो गई है, कितनी शांत और एक अखबार के टुकड़े को तरसती है …. यह क्या … यह..
उत्तर—(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ रोज शीर्षक कहानी से उद्धत है । इसमें विद्वान लेखक अज्ञेय जी ने प्रकृति के माध्यम से जीवन के उन पक्षों का रहस्योद्घाटन करने की कोशिश की गई जिससे मानव जीवन प्रभावित है । इन पंक्तियों में लेखक द्वारा चाँदनी का आनन्द लेना, सोते हुए बच्चे हैं । का पलंग से नीचे गिर जाना, ऐसे प्रसंग हैं जो नारी के जीवन को विषम स्थिति के सूचक लेखक द्वारा प्रकृति से जुड़कर नारी की अन्तर्दशाओं को देखना एक सूक्ष्म निरीक्षण है । चीड़ के वृक्ष का गर्मी से सूखकर मटमैला होना मालती के नीरस जीवन का प्रतीक है । चीड़ के वृक्ष जो धीरे-धीरे गा रहे हैं कोई राग जो कोमल है यह नारी के कोमल भावनाओं के प्रतीक है किन्तु करुण नहीं अशान्तिमय है किन्तु उद्वेगमय नहीं । यह मालती के नीरस जीवन का वातावरण से समझौता का प्रतीक है । हमें यह जानना चाहिए कि जहाँ उद्वेग होगी, वहीं सरसता होगी । परन्तु मालती के जीवन में सरसता नहीं है । वह जीवन के एक ढर्रे पर रोज-रोज एक तरह का काम करने, एकरस जीवन, उसकी सहनशीलता आदि उसके जीवन को ऊबाऊ बनाते हैं । मालती के लिए यह एक त्रासदी है । जहाँ नारी की आशा-आकांक्षा सब एक घुटन भरी जिन्दगी में कैद हो जाती है । नारी के जीवन में जो राग-रंग होने चाहिए यहाँ कुछ नहीं है । यहाँ दुख की स्थिति यह है कि घुटनभरी जिन्दगी को सरल बनाने के बजाए उससे समझौता कर लेती है । यही उसके अशान्ति का कारण है । मालती को अपना जीवन मात्र घंटों में दिखाई देता है । वह घंटों से छूटने का प्रयास करने के बजाय उसके निकलने पर थोड़ी राहत महसूस तो करती है । परन्तु घंटे के फिर आगे आ जाने पर नीरस हो जाती है । यही राग है जो कोमल है, किन्तु करुण नहीं, अशान्तिमय है ।
मालती की जिजीविषा यदा-कदा प्रकट होती है जो समझौते और परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता का है । इसके मूल में उसकी पति के प्रति निष्ठा और कर्त्तव्यपरायणता को अभिव्यक्त करती है । वह भी परंपरागत सोच की शिकार है जो इसमें विश्वास करती है कि यही उसके जीवन का सच है, इससे इतर वह सोच भी नहीं सकती । यही कारण है उसके दाम्पत्य जीवन में रोग की कमी व्यंजित होती है ।
(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रतिष्ठित साहित्यकार अज्ञेय द्वारा रचित रोज शीर्षक पाठ से उद्धृत है । प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लेखक मालती के बचपन के दिनों को याद करता है कि मालती कितनी चंचल लड़की थी । जब हम स्कूल में भरती हुए थे तो हम हाजिरी हो चुकने के बाद चोरी से क्लास से भाग जाते थे और दूर के बगीचों के पेड़ों पर चढ़कर कच्ची अमियाँ तोड़-तोड़ खाते थे ।
मालती पढ़ती भी नहीं थी, उसके माता-पिता तंग थे । लेखक इसी प्रसंग से जुड़ा एक वाक्य है कि मालती के पिता ने एक किताब लाकर पढ़ने को दी। जिसे प्रतिदिन 20-20 पेज पढ़ना था । मालती रोज उतना पन्ना फाड़ते जाती थी । इस प्रकार पूरी किताब फाड़कर फेंक डाली ।
लेखक उपर्युक्त बातों के आलोक में आज की मालती जिसकी शादी हो गई । और उसके बच्चे भी हैं, उसमें आये बदलाव को लेकर चिंतित है । आज मालती कितनी सी गई है। जिंदगी एक दर्रे में होने के कारण मालती यंत्रवत कर्त्तव्यपालन को मजबूत है । लेखक ने देखा कि पति महेश्वर ने मालती को आम लाने के लिए कहा । आम अखबार के एक टुकड़े में लिपटे थे । अखबार का टुकड़ा सामने आते ही मालती उसे पढ़ने में ऐसी तल्लीन हो गयी है, मानो उसे अखबार पहली बार मिला हो । इससे पता चलता है कि वह अपनी सीमित दुनिया से बाहर निकलकर दुनिया के समाचार जानने को उत्सुक है । वह अखबार के लिए भी तरस गई थी । उसके जीवन के अनेक अभावों में अखबार का अभाव भी एक तीखी चुभन दे गया । यह जीवन की जड़ता के बीच उसकी जिज्ञासा और जीवनेच्छा का प्रतीक है । इस तरह लेखक एक मध्यवर्गीय नारी को अभावों में भी जीने की इच्छा का संकेत देखता है और जीवन संघर्ष की प्रेरणा देता है ।
प्रश्न 10. कहानी के आधार पर मालती के चरित्र के बारे में अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – प्रस्तुत काहनी ‘रोज’ की मालती मुख्य पात्र तथा नायिका है । बचपन में वह बंधनों से पड़े उन्मुक्त और स्वच्छंद रहकर चंचल हिरणी के समान फुदकती रहती है । उसका रूप-लावण्य बरबस ही लोगों को आकर्षित करता है । महज चार-पाँच वर्षों के अन्तराल में ही. विवाहिता है, एक बच्चे का माँ भी है । उसके जीवन में मूलभूत परिवर्तन सहज ही दृष्टिगोचर होता है । वह वक्त के साथ समझौता करनेवाली कुशल गृहिणी तथा वात्सल्य की वाटिका है । चार साल पहले मालती उद्धात और चंचल था । विवाहोपरान्त उसने अपने जीवन को यंत्रवत् बना लिया है । उसका शरीर जीर्ण-शीर्ण होकर कान्तिविहीन हो गया है । वह शांत और सीधी बन गई है । वह अपने जीवन को परिवार की धुरी पर नाचने के लिए छोड़ देती है । मालती भारतीय मध्यवर्गीय समाज के घरेलू स्त्री के जीवन और मनोदशा का सजीव प्रतीक केन्द्रित करने के लिए बाध्य करती है ।
प्रश्न 11. बच्चे से जुड़े प्रसंगों पर ध्यान देते हुए उसके बारे में अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर- ‘रोज’ शीर्ष कहानी की नायिका मालती का पुत्र टिटी बाल-सुलभ रस से परिपूरित है । यद्यपि वह दुर्बल, बीमार तथा चिड़िचिड़ा है तथापि वह ममता को एकांकी जीवन का आधार से रात ग्यारह बजे तक घर के कार्यों में अपने को व्यस्त रखती है । अपरिचितों को देखकर बच्चों की प्रतिक्रिया का सजीव जिक्र इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है-
मैंने पंक्तियों के अध्ययन लेखक का मनोविज्ञान पकड़ को भी दर्शाता है । वास्तव में बच्चा एकांत समय का बड़ा ही सारगर्भित समय बिताने में सोपान का कार्य करता है । बच्चे के साथ अपने को मिलाकर एक अनन्य आनन्द की प्राप्ति होती है । बच्चे की देखभाल करने के लिए माता – पिता को ध्यान देना पड़ता है और इससे इनमें सजगता आती है ।
वास्तव में बच्चा मानव-जीवन की अमूल्य निधि है । बच्चे में घुल-मिलकर मनुष्य अपने दुष्कर समय को समाप्त कर सकता है ।
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Previous Year Questions Answers
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मालती के पति का परिचय दें।
उत्तर – मालती के पति का नाम महेश्वर है। वह एक पहाड़ी गाँव में सरकारी डिस्पेंसरी के डॉक्टर है।
2. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा? ‘रोज‘ शीर्षक कहानी के अनुसार बताइए।
उत्तर – अज्ञेय रचित कहानी ‘रोज’ की मालती का घर यंत्रवत् चलता था। उसमें आनंद नहीं था। समय की ही पाबंदी का पालन मात्र होता था । जीवन नीरस हो गया था। एक विवाहित स्त्री अभाव में घुटती जा रही थी। उसका जीवन त्रासदी भरा हो गया था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ‘रोज‘ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर – ‘रोज‘ शीर्षक कहानी के कहानीकार हिन्दी के शीर्षस्थ गद्यकार ‘अज्ञेय’ हैं। अज्ञेय आधुनिक साहित्य की एक प्रमुख प्रतिभा थे।
‘वातावरण, परिस्थिति और उसके प्रभाव में ढलते हुए एक गृहिणी के चरित्र का मनोवैज्ञानिक उद्घाटन अत्यन्त कलात्मक रीति से लेखक यहाँ प्रस्तुत करता है। डॉक्टर पति के काम पर चले जाने के बाद सारा समय मालती को घर में एकाकी काटना होता है। उसका दुर्बल, बीमार और चिड़चिड़ा पुत्र हमेशा सोता रहता है या रोता रहता है। मालती उसकी देखभाल करती सुबह से रात ग्यारह बजे तक घर के कार्यों में अपने को व्यस्त रखती उसका जीवन ऊब और उदासी के बीच यंत्रवत् चल रहा है। किसी तरह के मनोविनोद, उल्लास उसके जीवन में नहीं रह गए हैं। जैसे वह अपने जीवन का भार ढोने में ही घुल रही हो । प्रसंगवश मध्यवर्गीय भारतीय समाज में घरेलू स्त्री के जीवन और मनोदशा पर लेखक अपनी सहानुभूति पूर्ण मानवीय दृष्टि केन्द्रित करता है।
‘रोज’ अज्ञेय की सर्वाधिक चर्चित कहानी है क्योंकि इसमें ‘संबंधों’ की वास्तविकता को एकांत वैयक्तिक अनुभूतियों से अलग ले जाकर सामाजिक संदर्भ में देखा गया है। मध्यवर्ग की पारिवारिक एकरसता को जितनी मार्मिकता से कहानी व्यक्त कर सकी है वह उस युग की कहानियों में विरल है। पति महेश्वर अपनी डॉक्टरी में व्यस्त है। उसे रोज ऑपरेशन करना पड़ता है। प्यार दो वर्षों के बाद ठंढा पड़ जाता है। बुन्दे एक बच्चा है । वह रोज बिस्तर से गिर पड़ता है।
पत्नी एक अखबार का टुकड़ा पढ़ती है वह बाहर की दुनिया से जुड़ना चाहती है।
मित्र अतिथि भी औपचारिकता मात्र हो जाते हैं
मुख्यत: ‘रोज’ शीर्षक कहानी में जीवन की नीरसता और यांत्रिकता का स्वर मुखर हुआ है। यह जीवन की नियति है।
2. ‘रोज‘ शीर्षक कहानी के आधार पर मालती का चरित्र–चित्रण करें।
अथवा,
‘रोज‘ कहानी में कहानीकार ने किस प्रकार मालती की अंत: स्थिति व बाह्य स्थिति का वर्णन किया है?
उत्तर – मालती एक उजास जीवन जीती है। एक बच्चा भी है उसे; पर उससे उसके जीवन में प्रसन्नता नहीं आयी। पति डॉक्टर है, पर उसे गैंग्रीन की टाँग काटने से फुर्सत नहीं। मालती अन्तर्द्वन्द्वग्रस्त मानसिक स्थिति से गुजरती रहती है। वह खोई-खोई रहती है। यह यांत्रिक जीवन जीती है। रोज वह वैसे ही रहती है।
Bihar Board Class 12th Hindi Notes गद्य खण्ड
1 | बातचीत |
2 | उसने कहा था |
3 | संपूर्ण क्रांति |
4 | अर्द्धनारीश्वर |
5 | रोज |
6 | एक लेख और एक पत्र |
7 | ओ सदानीरा |
8 | सिपाही की माँ |
9 | प्रगीत और समाज |
10 | जूठन |
11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन |
12 | तिरिछ |
13 | शिक्षा |
Bihar Board Class 12th Hindi दिगंत भाग 2 Notes पद्य खण्ड
1 | कड़बक |
2 | सूरदास के पद |
3 | तुलसीदास के पद |
4 | छप्पय |
5 | कवित्त |
6 | तुमुल कोलाहल कलह में |
7 | पुत्र वियोग |
8 | उषा |
9 | जन-जन का चेहरा एक |
10 | अधिनायक |
11 | प्यारे नन्हें बेटे को |
12 | हार-जीत |
13 | गाँव का घर |
14 | Class 12th English |
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1 | Class 12th English Summary Notes |
2 | Class 12th Hindi |
3 | Class 10th Notes & Solutions |
4 | Bihar Board 12th Notes |
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